Friday, August 27, 2010

Simdega : सेवा की प्रतिमूर्ति थीं mother teresa


बानो (सिमडेगा)। प्रखंड मुख्यालय में स्थित मदर टेरेसा नर्सिंग सेंटर में गुरुवार को मदर टेरेसा का जन्मोत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रखंड चिकित्सा प्रभारी डा. शंभू प्रसाद ने दीप प्रज्वलित करके एवं उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण करके किया। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डा. शंभू ने कहा कि मदर टेरेसा सेवा ने गरीबों की सेवा में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया था। उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा एकमात्र उद्देश्य मानव कल्याण था। श्री प्रसाद ने उपस्थित नर्सो से कहा कि वे भी मदर टेरेसा के जीवन से प्रेरणा लें। मानव सेवा में मिसाल कायम करें एवं क्षेत्र का नाम रोशन करें। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुरेन्द्र उरांव, इंद्र कुमार, बिल्लु अग्रवाल, लिलु अग्रवाल, जगेश्वर साहू, प्रह्लाद मिश्र आदि उपस्थित थे।

Wednesday, August 25, 2010

Simdega : रक्षाबंधन में छुपा है आध्यात्मिक रहस्य व नैतिक संदेश


सिमडेगा। जिले में रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया गया। बहनों ने भाईयों के माथे पर तिलक लगाने के बाद कलाई पर राखी बांधी। विभिन्न शिक्षण संस्थानों एवं धार्मिक स्थानों में भी रक्षाबंधन का पर्व पूरी आस्था एवं उत्साह से मनाया गया। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सिमडेगा शाखा में आयोजित रक्षाबंधन कार्यक्रम में सेवा केन्द्र की मुख्य संचालिका ब्रह्माकुमारी मूर्ति बहन ने रक्षा बंधन के आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस त्योहार के पीछे बहुत बड़ा नैतिक संदेश व आध्यात्मिक रहस्य छुपा है। वास्तव में रक्षा शब्द मनोविकारों से बचाव का प्रतीक एवं बंधन शब्द प्रतिज्ञा का प्रतीक है। आज के दूषित व अपवित्र वातावरण में जब मनुष्यों में घृणा व द्वेष बढ़ रहा है तथा नैतिक मूल्यों का तेजी से पतन हो रहा है ऐसे में व्यक्ति को आत्मरक्षा करके के साथ साथ बुराईयों से बचने की नितांत आवश्यकता है। रक्षा किसी बंदूक या तोप से नहीं बल्कि आत्मिक ज्ञान और योग से करनी है। बहन मूर्ति ने कहा कि राखी बांधते समय जो तिलक लगाया जाता है वह आत्म स्मृति का प्रतीक है और मुंह मीठा करने का अर्थ सदा मधुरता एवं मंगलमय जीवन से है। इस तरह से रक्षा बंधन सिर्फ त्योहार ही नहीं जीवन व्यवहार भी है। केन्द्र में आयोजित रक्षाबंधन कार्यक्रम में विमला बहन, संतोष बहन, केशर बहन, रजनी बहन, कमला बहन, रश्मि बहन, भ्राता सत्यानंद, रामनिवास भाई और शंभू भाई सहित कई माताएं व बहनें उपस्थित थीं।

Simdega : मोहब्बत है क्या चीज! ( love )


दुनिया में सभी प्रेम करते हैं, पर बहुत ही कम लोग हुए हैं, जिन्होंने प्यार को ठीक तरह से समझा है। जिन्होंने समझा, उन्होंने अपने प्यार को नया आयाम दिया और उसे दुनिया के सामने आदर्श बनाकर प्रस्तुत किया। आज के दौर में प्यार फैशन की तरह हो गया है और हर कहीं आपको ऐसे प्रेमी युगल मिल जाएंगे जो दुनिया वालों के तमाम उसूल और रीति-रिवाज ताक में रखकर एक-दूसरे को प्रेम करते हैं। पर क्या सभी प्रेमी अपने साथी के साथ प्रेम की तीव्रता बनाए रखते हैं या वक्त की दीमक उनके प्रेम को खोखला कर देती है। प्रेम इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि लैला-मजनूं, हीर-राझा, सोहनी-महिवाल आदि सभी ने प्रेम क्षेत्र में झडे गाड़े, पर प्रेम की निश्चित परिभाषा कोई न दे पाया।
ऐसा शायद इसलिए भी हुआ कि ये लोग प्रेम की महान अनुभूति से ओत-प्रोत थे, इसलिए ये उसे निश्चित शब्दों में बांधना नहीं चाहते थे। वे प्रेम के असीम अहसास को सिर्फ महसूस करना चाहते थे। प्यार का जन्म कब और कहां हुआ, यह कहना मुश्किल है। पहले-पहल इसका आम जीवन से कोई ताल्लुक नहीं था, राजा-रानियों की प्रेम कथाओं में इसका हल्का-फुल्का जिक्र होता था। फिर लिखित साहित्य आया। उसके बाद फिल्मों में रोमास के हर पहलू का खुलकर फिल्माकन किया गया।
दूसरी तरफ आधुनिक रोमास की गति इतनी तेज है कि प्रेमी युगल के पास उसे महसूस करने के लिए, उन क्षणों को जीने के लिए समय ही नहीं है। आज का हाईटेक रोमास हर प्रेमी युगल पर हावी है, जो ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस तक सीमित दिखाई देता है। आज रोमास को समय और दूरी का मुंह नहीं ताकना पड़ता।
अब रोमास का स्थान डिस्को, पार्टियों, डेटिंग आदि ने ले लिया है, जहा शोर-शराबे और सेक्स के बीच इच्छाएं-कामनाएं पहले ही खत्म हो जाती हैं।
प्यार का सही अर्थ कहीं खो गया है
समाजशास्त्री ज्ञानेंद्र गौतम का कहना है कि प्यार का सही अर्थ कहीं खो गया है और जिस तरह का प्यार इन दिनों देखने को मिल रहा है उसमें प्यार कम और एक-दूसरे से कुछ पा लेने की लालसा अधिक दिखाई देती है। ऐसा तब होता है जब आप दुखी, कुंठित या परेशान अधिक रहते है। अपनी परेशानी को बांटने का यह तरीका एक से अधिक प्रेम संबंध बनाने का माध्यम बनता है। वैसे भी ऐसे प्रेम संबंधों की इन दिनों कमी नहीं जिसमें एक से अधिक लोगों से संबंध स्थापित कर लेना आम बात हो गई है।
आचार्य रजनीश 'ओशो' के अनुसार, कुदरत का अनमोल तोहफा है प्रेम, 'पुरुष, प्यार अक्सर और थोड़ा करता है, किंतु स्त्री, प्यार सौभाग्य से और स्थायी करती है।'
वहीं मीर तकी मीर का कहना है कि प्यार की कोई हद नहीं होती, 'जिस प्यार में प्यार करने की कोई हद नहीं होती और किसी तरह का पछतावा भी नहीं होता, वही उसका सच्चा रूप है।'
खलील जिब्रान ने कहा था कि मैंने तो खूब किया दुनिया से प्रेम, 'खूब किया मैंने दुनिया से प्रेम और मुझसे दुनिया ने, तभी तो मेरी मुस्कराहट उसके होंठों पर थी और उसके सभी आंसू मेरी आंखों में।'
वहीं शेक्सपीयर ने कहा था कि प्रेम हृदय से देखता है, 'प्रेम आंखों से नहीं हृदय से देखता है, इसीलिए प्रेम को अंधा कहा गया है।'

Monday, August 23, 2010

Simdega : धूमधाम से मनाया रामरेखा बाबा का जन्मोत्सव



सिमडेगा। ब्रह्मलीन संत रामरेखा बाबा के 116वें जन्मदिन के मौके पर श्रद्धालुओं ने विशेष कार्यक्रम आयोजित किये। अग्रसेन चौक पर स्थित रोहिल्ला आवास के सामने आयोजित बाबा के जन्मोत्सव में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपने हाथों में दीप लेकर बाबा की आरती उतारी और उन्हें नमन किया। पंडित वासुदेव गौतम ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत बाबा की पूजा अर्चना की। इस मौके पर नगर पंचायत के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल सपत्नीक यजमान के रूप में बैठे। श्रद्धालुओं ने कहा कि ब्रह्मलीन होने के बाद भी बाबा उनके बीच हैं तथा उनके सानिध्य में जीवन भक्तिमय रहता है। श्रद्धालुओं ने कहा कि बाबा की बातें और उनकी बाल सुलभ मुस्कान उन्हें बहुत याद आती है तथा ब्रह्मलीन संत उनके हृदय में निवास करते हैं। जन्मोत्सव कार्यक्रम में श्रद्धालुओं के बीच खीर-बुंदिया का प्रसाद वितरित किया गया। आयोजन में रामनारायण सिंह रोहिल्ला, शंकर लाल अग्रवाल, शीतल प्रसाद,मधुसूदन सिंह, नपं के कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष कुमार, प्रह्लाद केशरी, मनोज जैन, वेदप्रकाश नागवान, विनोद अग्रवाल, गुप्ता बैग वाले, कौशल किशोर रोहिल्ला, योगेन्द्र रोहिल्ला,सत्येन्द्र रोहिल्ला, लाला शर्मा, सुरेश शर्मा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।