Wednesday, August 25, 2010

Simdega : मोहब्बत है क्या चीज! ( love )


दुनिया में सभी प्रेम करते हैं, पर बहुत ही कम लोग हुए हैं, जिन्होंने प्यार को ठीक तरह से समझा है। जिन्होंने समझा, उन्होंने अपने प्यार को नया आयाम दिया और उसे दुनिया के सामने आदर्श बनाकर प्रस्तुत किया। आज के दौर में प्यार फैशन की तरह हो गया है और हर कहीं आपको ऐसे प्रेमी युगल मिल जाएंगे जो दुनिया वालों के तमाम उसूल और रीति-रिवाज ताक में रखकर एक-दूसरे को प्रेम करते हैं। पर क्या सभी प्रेमी अपने साथी के साथ प्रेम की तीव्रता बनाए रखते हैं या वक्त की दीमक उनके प्रेम को खोखला कर देती है। प्रेम इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि लैला-मजनूं, हीर-राझा, सोहनी-महिवाल आदि सभी ने प्रेम क्षेत्र में झडे गाड़े, पर प्रेम की निश्चित परिभाषा कोई न दे पाया।
ऐसा शायद इसलिए भी हुआ कि ये लोग प्रेम की महान अनुभूति से ओत-प्रोत थे, इसलिए ये उसे निश्चित शब्दों में बांधना नहीं चाहते थे। वे प्रेम के असीम अहसास को सिर्फ महसूस करना चाहते थे। प्यार का जन्म कब और कहां हुआ, यह कहना मुश्किल है। पहले-पहल इसका आम जीवन से कोई ताल्लुक नहीं था, राजा-रानियों की प्रेम कथाओं में इसका हल्का-फुल्का जिक्र होता था। फिर लिखित साहित्य आया। उसके बाद फिल्मों में रोमास के हर पहलू का खुलकर फिल्माकन किया गया।
दूसरी तरफ आधुनिक रोमास की गति इतनी तेज है कि प्रेमी युगल के पास उसे महसूस करने के लिए, उन क्षणों को जीने के लिए समय ही नहीं है। आज का हाईटेक रोमास हर प्रेमी युगल पर हावी है, जो ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस तक सीमित दिखाई देता है। आज रोमास को समय और दूरी का मुंह नहीं ताकना पड़ता।
अब रोमास का स्थान डिस्को, पार्टियों, डेटिंग आदि ने ले लिया है, जहा शोर-शराबे और सेक्स के बीच इच्छाएं-कामनाएं पहले ही खत्म हो जाती हैं।
प्यार का सही अर्थ कहीं खो गया है
समाजशास्त्री ज्ञानेंद्र गौतम का कहना है कि प्यार का सही अर्थ कहीं खो गया है और जिस तरह का प्यार इन दिनों देखने को मिल रहा है उसमें प्यार कम और एक-दूसरे से कुछ पा लेने की लालसा अधिक दिखाई देती है। ऐसा तब होता है जब आप दुखी, कुंठित या परेशान अधिक रहते है। अपनी परेशानी को बांटने का यह तरीका एक से अधिक प्रेम संबंध बनाने का माध्यम बनता है। वैसे भी ऐसे प्रेम संबंधों की इन दिनों कमी नहीं जिसमें एक से अधिक लोगों से संबंध स्थापित कर लेना आम बात हो गई है।
आचार्य रजनीश 'ओशो' के अनुसार, कुदरत का अनमोल तोहफा है प्रेम, 'पुरुष, प्यार अक्सर और थोड़ा करता है, किंतु स्त्री, प्यार सौभाग्य से और स्थायी करती है।'
वहीं मीर तकी मीर का कहना है कि प्यार की कोई हद नहीं होती, 'जिस प्यार में प्यार करने की कोई हद नहीं होती और किसी तरह का पछतावा भी नहीं होता, वही उसका सच्चा रूप है।'
खलील जिब्रान ने कहा था कि मैंने तो खूब किया दुनिया से प्रेम, 'खूब किया मैंने दुनिया से प्रेम और मुझसे दुनिया ने, तभी तो मेरी मुस्कराहट उसके होंठों पर थी और उसके सभी आंसू मेरी आंखों में।'
वहीं शेक्सपीयर ने कहा था कि प्रेम हृदय से देखता है, 'प्रेम आंखों से नहीं हृदय से देखता है, इसीलिए प्रेम को अंधा कहा गया है।'

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