Tuesday, December 1, 2009

Simdega : World AIDS Day : एड्स जागरूकता कार्यक्रम आयोजित


World AIDS Day  के मौके पर मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा सदर अस्पताल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मौके पर न्यायिक पदाधिकारियों व चिकित्सकों द्वारा एड्स से बचाव व उसके रोकथाम के बारे में विचार व्यक्त किये गये। कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सह प्राधिकार के सचिव विजय कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर सीजेएम कुमार ने कहा कि एड्स रोकथाम एवं उसके उपचार की जानकारी जन-जन तक फैलाने में प्राधिकार कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि एड्स मरीजों को हीन दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एचआईवी पीडि़त बच्चे को सामाजिक कार्यो खेलकूद व स्कूल जाने के लिये प्रोत्साहित करें। एसडीजेएम महेन्द्र प्रसाद ने एड्स दिवस मनाये जाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में विचार व्यक्त करते हुए अस्पताल उपाधीक्षक डा. ओपी रवानी ने कहा कि एड्स एक वायरस से फैलता है जिसे एचआईवी कहते हैं। एचआईवी शरीर में रोगों का सामना करने की स्वाभाविक क्षमता को कम करता चला जाता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति कई वषरें तक सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन जब शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म होने लगेगी तो कुछ वर्ष में ही वह किसी न किसी घातक रोग का शिकार हो जाता है। डा. रवानी ने कहा कि अभी तक एड्स का कोई भरोसेमंद इलाज नहीं है और न ही इससे बचाव का कोई टीका बना है। लेकिन कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। डा. आनंद खाखा ने कहा कि एक से अधिक व्यक्तियों के साथ असुरक्षित यौन संपर्क बनाने, यौन रोग से पीडि़त नशीली दवाओं का सेवन, अन्य व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की गयी सुई व सिरींज का प्रयोग तथा एचआईवी की जांच किये बिना रक्त चढ़ाया गया हो तो उसे एचआईवी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। इनके अलावे कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. बेनेदिक मिंज, डा. राजेश कुमार आदि ने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर मंच संचालन मुंसफ संतोष कुमार ने किया। कार्यशाला में न्यायाधीश प्रथम एसके महाराज, डा. सुषमा प्रभा टोप्पो, डा. आरएन यादव सहित कई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।विश्व एड्स दिवस के मौके पर मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा सदर अस्पताल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मौके पर न्यायिक पदाधिकारियों व चिकित्सकों द्वारा एड्स से बचाव व उसके रोकथाम के बारे में विचार व्यक्त किये गये। कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सह प्राधिकार के सचिव विजय कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर सीजेएम कुमार ने कहा कि एड्स रोकथाम एवं उसके उपचार की जानकारी जन-जन तक फैलाने में प्राधिकार कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि एड्स मरीजों को हीन दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एचआईवी पीडि़त बच्चे को सामाजिक कार्यो खेलकूद व स्कूल जाने के लिये प्रोत्साहित करें। एसडीजेएम महेन्द्र प्रसाद ने एड्स दिवस मनाये जाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में विचार व्यक्त करते हुए अस्पताल उपाधीक्षक डा. ओपी रवानी ने कहा कि एड्स एक वायरस से फैलता है जिसे एचआईवी कहते हैं। एचआईवी शरीर में रोगों का सामना करने की स्वाभाविक क्षमता को कम करता चला जाता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति कई वषरें तक सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन जब शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म होने लगेगी तो कुछ वर्ष में ही वह किसी न किसी घातक रोग का शिकार हो जाता है। डा. रवानी ने कहा कि अभी तक एड्स का कोई भरोसेमंद इलाज नहीं है और न ही इससे बचाव का कोई टीका बना है। लेकिन कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। डा. आनंद खाखा ने कहा कि एक से अधिक व्यक्तियों के साथ असुरक्षित यौन संपर्क बनाने, यौन रोग से पीडि़त नशीली दवाओं का सेवन, अन्य व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की गयी सुई व सिरींज का प्रयोग तथा एचआईवी की जांच किये बिना रक्त चढ़ाया गया हो तो उसे एचआईवी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। इनके अलावे कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. बेनेदिक मिंज, डा. राजेश कुमार आदि ने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर मंच संचालन मुंसफ संतोष कुमार ने किया। कार्यशाला में न्यायाधीश प्रथम एसके महाराज, डा. सुषमा प्रभा टोप्पो, डा. आरएन यादव सहित कई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे। के मौके पर मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा सदर अस्पताल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मौके पर न्यायिक पदाधिकारियों व चिकित्सकों द्वारा एड्स से बचाव व उसके रोकथाम के बारे में विचार व्यक्त किये गये। कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सह प्राधिकार के सचिव विजय कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। मौके पर सीजेएम कुमार ने कहा कि एड्स रोकथाम एवं उसके उपचार की जानकारी जन-जन तक फैलाने में प्राधिकार कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि एड्स मरीजों को हीन दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एचआईवी पीडि़त बच्चे को सामाजिक कार्यो खेलकूद व स्कूल जाने के लिये प्रोत्साहित करें। एसडीजेएम महेन्द्र प्रसाद ने एड्स दिवस मनाये जाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में विचार व्यक्त करते हुए अस्पताल उपाधीक्षक डा. ओपी रवानी ने कहा कि एड्स एक वायरस से फैलता है जिसे एचआईवी कहते हैं। एचआईवी शरीर में रोगों का सामना करने की स्वाभाविक क्षमता को कम करता चला जाता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति कई वषरें तक सामान्य जीवन जी सकता है। लेकिन जब शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म होने लगेगी तो कुछ वर्ष में ही वह किसी न किसी घातक रोग का शिकार हो जाता है। डा. रवानी ने कहा कि अभी तक एड्स का कोई भरोसेमंद इलाज नहीं है और न ही इससे बचाव का कोई टीका बना है। लेकिन कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। डा. आनंद खाखा ने कहा कि एक से अधिक व्यक्तियों के साथ असुरक्षित यौन संपर्क बनाने, यौन रोग से पीडि़त नशीली दवाओं का सेवन, अन्य व्यक्तियों द्वारा इस्तेमाल की गयी सुई व सिरींज का प्रयोग तथा एचआईवी की जांच किये बिना रक्त चढ़ाया गया हो तो उसे एचआईवी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। इनके अलावे कार्यशाला में अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. बेनेदिक मिंज, डा. राजेश कुमार आदि ने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर मंच संचालन मुंसफ संतोष कुमार ने किया। कार्यशाला में न्यायाधीश प्रथम एसके महाराज, डा. सुषमा प्रभा टोप्पो, डा. आरएन यादव सहित कई चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित थे।

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