Simdega -- जीईएच चर्च के विशप याकूब सोरेंग ने अपने क्रिसमस संदेश में कहा कि हमें जिस आगंतुक का इंतजार था वह आ गया है। क्रिसमस का पर्व परमेश्वर का प्यार लेकर आया है। विशप ने कहा कि स्वर्ग से यीशु के आगमन की मानवीय तैयारियां कुछ और ही थी पर उसके जन्म लेने से मानव मस्तिष्क में ऐसे विचार उभरे, जो अबतक लाये ही नहीं थे। परमेश्वर किसी को परेशानी में डाले बिना अपने पुत्र को गोशाले में भेज दिया। ईश पुत्र के आगमन से किसी को कोई कठिनाई और मजबूरी न हो इसके लिये गोशाले को प्राथमिकता दी गयी। उसके आगमन को कोई भी मजबूरी न समझे, इसके लिये किसी पर भी थोपना न चाहा। आज बैतुलहम और गोशाले से अधिक महत्व परमेश्वर के सामर्थ और उसके विचारों का है। उसके कार्यनीति और अधिकारपूर्ण एजेंडा में सबके लिये उद्धारकर्ता का प्रबंध है। एक समग्र समाज और न्यायपूर्ण समुदाय की स्थापना यीशु के द्वारा आरंभ है। विशप ने कहा कि मनुष्यों को एक उच्च आदर्श मानवीय मूल्यों से मान सम्मान प्रदान करना परमेश्वर की महिमा में निहित है। पारस्परिक प्रतिष्ठा का आदान-प्रदान ही परमेश्वर की महिमा है। ख्रीस्तमस मानव मुक्ति के प्रतीक बालक यीशु के रूप में है। प्रचीनकाल से लोगों को एक सेनानायक, शक्तिशाली राजा और एक सक्षम राजनेता की आशा थी, पर इन पदों को प्राप्त करने के लिये बालक की अवस्था से यीशु आरंभ करना चाहा। परमेश्वर का यह प्रयोग सफल रहा और उसकी सफलता स्थायी बनी हुई है। हम सबों की तैयारी विफल नहीं हुई, हमें जिस आगंतुक की उम्मीद थी, वह आ गया है उसका स्वागत खुशी मन से करना है।
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