Tuesday, September 22, 2009

एक माह रोजा रखने का सुंदर इनाम है ईद : मौलाना



Sep 22 09

सिमडेगा। जिला मुख्यालय एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में ईद-उल-फित्र का पर्व आपसी सौहार्द एवं उल्लासपूर्ण वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने ईदगाह व रजा मस्जिद में ईद की दो रकअत नमाज अदा की। पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया। सुबह से ही मुस्लिम बहुल इलाकों में खास गहमा-गहमी देखी गयी। बच्चे-बूढ़े व युवा वर्ग के पुरुष नये वस्त्र पहनकर नमाज अदा करने ईदगाह पहुंचे। इस मौके पर ईदगाह में अपने तकरीर में मौलाना अशरफ ने कहा कि ईद खुशी व मुसर्रत का पैगाम लाया है। ईद शुकराने का दिन है तथा यह रमजान का बदला है। मुसलमान एक महीने तक रोजा रखते हैं। ईद के दिन उसका ईनाम मिलता है। मौलाना अशरफ ने कहा कि जब ईद उल फित्र का त्योहार आता है तो फरिश्ते तमाम रास्तों पर खड़े हो जाते हैं और कहते हैं ऐ मुसलमानों अपने रब की तरफ चलो वह बड़ा करम करने वाला है। उन्होंने कहा कि ईद मशावत बराबरी का नाम है ताकि इंसान सबक ले कि जब खुदा गरीबों को हमसे अलग देखना नहीं चाहता तो हम किस बिना पर गरीबों के साथ भेदभाव करते हैं। मौलाना ने कहा कि ईद एक ऐसा त्योहार है जो दुश्मन को दोस्त बना देता है और दुश्मन से सारे गिले शिकवा खत्म करके सब गले मिलकर आपसी भेदभाव को दूर करते हैं। मौलाना अशरफ ने कहा कि अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है कि अगर जमीन पर ताकत हासिल करके नमाज कायम करोगे, जकआत दोगे और नेकियां फरमाओगे तब मैं तुम्हारा मददगार हूंगा। रजा मस्जिद में मौलाना रौशनुल कादरी ने कहा कि ईद के दिन रोजा रखना हराम है। ईद अल्लाह की सुकराने का खास नेमअत का दिन है। इस दिन बंदे पर खुदा का खास ईनाम होता है। उन्होंने कहा कि इस रोज जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं। नेकी के फरिश्ते दुनिया के चारों ओर फैल जाते हैं। इधर नमाज अदा करने के बाद पेश ए इमाम द्वारा खुदबा पढ़ा गया। इसके बाद लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाईयां दी।

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